संदेश

तुमसे मिलना भी तय था और बिछड़ना भी तय था  नियति का चक्र बहुत अजीब होता है यह पहले से निश्चित होता है किसको किस राह पर चलना है प्रेम अपनी जगह होता है जिम्मेवारियां अपनी जगह होती है ,प्रेम की वजह से जिम्मेवारियों को नहीं छोड़ा जा सकता हम प्रसन्न हैं कि हमने अपनी जिम्मेवारिया बखूबी निभाई पवित्र प्रेम की यही पहचान होती है अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचना हम दोनों एक दूसरे के दिल में धड़कते हैं इतना ही काफी है
इस मुस्कुराहट के लिए तुम्हारा शुक्रिया  तुम्हारी हर बात के लिए तुम्हारा शुक्रिया  किनारे पर लाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया  हर दर्द भुलाने के लिए तुम्हारा  शुक्रिया माफ भी कर देने के लिए तुम्हारा शुक्रिया मेरी जिंदगी बनाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया

किरदार

इंसान का किरदार भी अजीब है जब जो उसके पास होता है वह उसे नहीं चाहिए होता जो उसकी जिंदगी से जा चुका होता है वही वह बार-बार मांगते हैं फुर्सत के पलों में बैठ के बीता हुआ कल बहुत याद आता है तमाम वह छोटी छोटी बातें जो जो तुमने मुझसे की थी वह वादे वह कसमें और भी बहुत जो एक फिल्म की तरह चलता जाता है दर्द की नुमाइश मैंने कभी नहीं की यूं ही दर्द मेरे साथ चलता चला गया  तुझे पाने की हसरत दिल में दबी रही और जवानी से बुढ़ापा निकलता चला गया

खामोशी

मैं खामोशियों से मजबूरियों के दामन पकड़े रहा तुम खूबसूरती से वादों को निभाते चले गए
आज फिर कामवाली  बाई सुमित्रा की एक आँख ओर गाल सुजे  हुये  थे | क्या हुया पुछने पर बहुत सफाई से  झूठ बोली की दीदी जी गिर गई थी | सुमित्रा  के पडोस  मे रहेने  वाली बाई  ने मुझे बताया था की शराब के नशे मे सुमित्रा का  पति  उस को  बहुत  पीटता है  पर वाह री  भारतीये  नारी  न  उफ़ न शिकायत | पूरे महीने  घर घर जाकर  बरतन झाडू करने के बाद मिले पैसो  को  यह  पति नामक  राक्षस  छीन  कर ले जाता  है। बच्चो  का  पेट  भरने  को  फिर वो उधार  मांग कर गुजार करती है| बच्चो  के साथ साथ पति नामक राक्षस  को  भी उसे ही पालना  है कैसी  विडांबना है |   
जब भी traffic light पर कार रुकती है तो भीख  मांगते बच्चे  ओर औरते नज़र आते है कड़कती  धूप मे औरते एक हाथ मे बच्चा  ओर एक हाथ मे बोतल लिए पैसे मांगती है |उनकी यह दशा देख कर मन बहुत अशांत  हो जाता है सोचती हू गरीबो के लिए सरकार ने न जाने  कितनी योजनाये  चलायी हुयी है  अन्नपुरना रसोई मे कभी कोई गरीब खाना खाता नही देखा पैसा खर्च भी हो रहा है पर गारीबों  तक पहुच नही रहा | सरकार डिजीटल इडिया को बढावा दे रही है और देश का एक तबका पेट की भूख मिटाने को हाथ फैलाये भीख मागने को मजबुर है|
आशा भाभी भगवान की दुत बनकर  आयी  ससुराल  मे सास  ससुर  का ना  होना  बहुत सी परेशानी लाता  है  मेरी शादी 1993 मे हुई शादी के बाद मालुम हुया कि पति  कई  गलत आदातों  के शिकार है ऐसे ही परेशानी मे बेटी का आगमान   हुया हमारे घर के सामने भाटिया परिवार रहा  करता था भाभी से मेरी कभी कभी राम राम हो जाया करती थी भाभी के बच्चे मेरी बेटी को अपने घर ले जाने को बोलते  तो मैं मना कर देती थी क्यूंकी भारोसा नही होता था  बेटी दो साल की हुई तो बेटे का जन्म हुया |पति ने अब नौकरी भी  छोड़ दी थी उनकी बुरी आदातो ने मेरे होसले  पस्त कर दिये थै| अब आशा भाटिया मेरी अच्छी दोस्त बैन गयी थी उनसे आपनी  दिल की सारी बात करती | अचानक एक दिन बेटी बहोश हो गयी  ओर उसे हस्पताल  मे भार्ती  कराना पडा  उस समय बेटा 2 माहिने का ही था उसको  कहा छोड़े  ये समास्या थी ऐसे मे आशा भाभी भगवान की दुत बनकर  सामने आयी चार दिन तक ऊँहोने  मेरे बेटे को आपने पास रखा ओर बहुत सी आर्थ...