आशा भाभी भगवान की दुत बनकर  आयी 

ससुराल  मे सास  ससुर  का ना  होना  बहुत सी परेशानी लाता  है 
मेरी शादी 1993 मे हुई शादी के बाद मालुम हुया कि पति  कई 
गलत आदातों  के शिकार है ऐसे ही परेशानी मे बेटी का आगमान  
हुया हमारे घर के सामने भाटिया परिवार रहा  करता था भाभी से मेरी कभी कभी राम राम हो जाया करती थी भाभी के बच्चे मेरी बेटी को अपने घर ले जाने को बोलते  तो मैं मना कर देती थी क्यूंकी भारोसा नही होता था 
बेटी दो साल की हुई तो बेटे का जन्म हुया |पति ने अब नौकरी भी 
छोड़ दी थी उनकी बुरी आदातो ने मेरे होसले  पस्त कर दिये थै|
अब आशा भाटिया मेरी अच्छी दोस्त बैन गयी थी उनसे आपनी 
दिल की सारी बात करती | अचानक एक दिन बेटी बहोश हो गयी 
ओर उसे हस्पताल  मे भार्ती  कराना पडा  उस समय बेटा 2 माहिने का ही था उसको  कहा छोड़े  ये समास्या थी ऐसे मे आशा भाभी भगवान की दुत बनकर  सामने आयी चार दिन तक ऊँहोने 
मेरे बेटे को आपने पास रखा ओर बहुत सी आर्थिक मदद  भी की 
आशा भाभी एक दोस्त ,माँ ,बहन ,भाभी के किर्दार मे मेरे साथ खड़ी  थी ओर मैं उनकी मेहार्बानिया से न्त्मास्तक थी

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