तुमसे मिलना भी तय था और बिछड़ना भी तय था
किरदार
इंसान का किरदार भी अजीब है जब जो उसके पास होता है वह उसे नहीं चाहिए होता जो उसकी जिंदगी से जा चुका होता है वही वह बार-बार मांगते हैं फुर्सत के पलों में बैठ के बीता हुआ कल बहुत याद आता है तमाम वह छोटी छोटी बातें जो जो तुमने मुझसे की थी वह वादे वह कसमें और भी बहुत जो एक फिल्म की तरह चलता जाता है दर्द की नुमाइश मैंने कभी नहीं की यूं ही दर्द मेरे साथ चलता चला गया तुझे पाने की हसरत दिल में दबी रही और जवानी से बुढ़ापा निकलता चला गया
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