मैं खामोशियों से मजबूरियों के दामन पकड़े रहा तुम खूबसूरती से वादों को निभाते चले गए
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तुमसे मिलना भी तय था और बिछड़ना भी तय था नियति का चक्र बहुत अजीब होता है यह पहले से निश्चित होता है किसको किस राह पर चलना है प्रेम अपनी जगह होता है जिम्मेवारियां अपनी जगह होती है ,प्रेम की वजह से जिम्मेवारियों को नहीं छोड़ा जा सकता हम प्रसन्न हैं कि हमने अपनी जिम्मेवारिया बखूबी निभाई पवित्र प्रेम की यही पहचान होती है अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचना हम दोनों एक दूसरे के दिल में धड़कते हैं इतना ही काफी है
इंसान का किरदार भी अजीब है जब जो उसके पास होता है वह उसे नहीं चाहिए होता जो उसकी जिंदगी से जा चुका होता है वही वह बार-बार मांगते हैं फुर्सत के पलों में बैठ के बीता हुआ कल बहुत याद आता है तमाम वह छोटी छोटी बातें जो जो तुमने मुझसे की थी वह वादे वह कसमें और भी बहुत जो एक फिल्म की तरह चलता जाता है दर्द की नुमाइश मैंने कभी नहीं की यूं ही दर्द मेरे साथ चलता चला गया तुझे पाने की हसरत दिल में दबी रही और जवानी से बुढ़ापा निकलता चला गया
जब भी traffic light पर कार रुकती है तो भीख मांगते बच्चे ओर औरते नज़र आते है कड़कती धूप मे औरते एक हाथ मे बच्चा ओर एक हाथ मे बोतल लिए पैसे मांगती है |उनकी यह दशा देख कर मन बहुत अशांत हो जाता है सोचती हू गरीबो के लिए सरकार ने न जाने कितनी योजनाये चलायी हुयी है अन्नपुरना रसोई मे कभी कोई गरीब खाना खाता नही देखा पैसा खर्च भी हो रहा है पर गारीबों तक पहुच नही रहा | सरकार डिजीटल इडिया को बढावा दे रही है और देश का एक तबका पेट की भूख मिटाने को हाथ फैलाये भीख मागने को मजबुर है|
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