तुमसे मिलना भी तय था और बिछड़ना भी तय था नियति का चक्र बहुत अजीब होता है यह पहले से निश्चित होता है किसको किस राह पर चलना है प्रेम अपनी जगह होता है जिम्मेवारियां अपनी जगह होती है ,प्रेम की वजह से जिम्मेवारियों को नहीं छोड़ा जा सकता हम प्रसन्न हैं कि हमने अपनी जिम्मेवारिया बखूबी निभाई पवित्र प्रेम की यही पहचान होती है अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचना हम दोनों एक दूसरे के दिल में धड़कते हैं इतना ही काफी है
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